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    मुसलमान प्रसाद क्यों नहीं खाते हैं?

    मुसलमान अपनी वैचारिक मान्यता के कारण प्रसाद नहीं खाते हैं। यह ठीक शाकाहारियों की वैचारिक मान्यता के समान है जो उन्हें मांसाहारी भोजन खाने से मना करता है। शाकाहारियों के लिए इस्तेमाल किए गए मानदंड और विचार मुसलमानों पर भी लागू होने चाहिए।

    मुसलमान मांसाहारी क्यों होते हैं?

    "मुसलमान मांसाहारी क्यों होते हैं?" इस प्रश्न का सरल उत्तर यह है कि मुसलमानों का ऐसा मानना हैं कि "ईश्वर ने मांसाहारी भोजन खाने की अनुमति दी है।" पर यह बात काफ़ी हैरान करती है कि ईश्वर जो सबसे बड़ा दयावान है आखिर क्यों निर्दोष जानवरों को मारने की अनुमति देगा? चलिए आज इस विषय पे चर्चा करते हैं।

    मुसलमान विपरीत लिंग से हाथ क्यों नहीं मिलाते?

    अलग-अलग जगहों पर अभिवादन के तरीके अलग-अलग होते हैं। अभिवादन के एक रूप के प्रति सहजता का स्तर व्यक्ति के पालन-पोषण और संवेदनाओं पर निर्भर करता है। मुसलमानों के लिए, उनकी संवेदनाएं उनके विश्वास के अनुसार आकार लेती हैं। जैसे हम किसी विदेशी से अभिवादन के समय हमारी संवेदनाओं का सम्मान करने की अपेक्षा करते हैं, वैसे ही हमें भी अपने साथी भारतीयों की संवेदनाओं का सम्मान करना चाहिए।

    समाज का भला करें

    यह सच है कि आज हम सब एक ऐसे समाज में रह रहे है जो स्वार्थी और केवल अपनी चिंता करने वाली मानसिकता की ओर काफ़ी तेज़ी से बढ़ती जा रही है जहां कोई व्यक्ति अगर किसी चीज़ को सबसे ज्यादा महत्व देता है तो वह सिर्फ़ उसके अपने निजी हितों के सिवा कुछ और नहीं होता हैं। समाज में रह रहे अन्य लोगों के समस्याओं के प्रति लोग धीरे-धीरे हृदयहीन और उदासीन होते जा रहे हैं। क्या इस मानसिकता से बाहर निकलने का कोई उपाय है? हाँ बिल्कुल है , हम पैगंबर जोसेफ के जीवन से प्रेरणा ले सकते हैं।

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