हम ऐसे समय में जी रहे हैं जहां एक-दूसरे का अभिवादन करने के लिए हाथ मिलाना बहुत आम बात हो गई है। तो, स्वाभाविक रूप से बहुत से लोगों को इस बात पर आश्चर्य होता हैं कि “मुस्लिम गैर मेहरम (विपरीत लिंग) के साथ हाथ क्यों नहीं मिलाते?”। कई लोग इस बात के लिए बुरा भी मान जाते हैं जब कोई मुसलमान उनसे हाथ मिलाने से मना कर देता है। आइए इस मुद्दे को समझते हैं।
मुसलमानों को विपरीत लिंग से हाथ मिलाने की मनाही है
पैगंबर मुहम्मद ने कहा:
यदि तुम में से किसी के सिर में लोहे की सुई मार दी जाए, तो उसके लिए यह अधिक अच्छा होगा कि वह किसी ऐसी स्त्री को स्पर्श करे जिसकी उसे अनुमति नहीं है।
हदीस: सही जामिह हदीस # 5045
इस्लाम के अनुसार, एक मुस्लिम पुरुष या महिला को विपरीत लिंग के पराई औरत या पराए मर्द के साथ हाथ मिलाने की अनुमति नहीं है, सिवाए उनके जो अपने करीबी रिश्ते में हो जैसे पति-पत्नी, माँ-बाप, भाई-बहन आदि|
क्या विपरीत लिंग से हाथ मिलाना एक बड़ी बात होनी चाहिए?
अभिवादन के विभिन्न रूप
क्या “हाथ मिलाना” ही अभिवादन का एकमात्र तरीका है? इसका उत्तर नहीं है। इस लेख में विभिन्न देशों में विभिन्न प्रकार के अभिवादन के बारे में बताया गया है।
गले लगाकर
कई यूरोपीय देशों और अमेरिका में, गले मिलना अभिवादन का एक मानक तरीका है।
गाल पर चुम्बन कर
फ्रांस जैसे कुछ देशों में गाल पर एक चुम्बन अभिवादन का एक मानक तरीका है। अभिवादन के इस रूप को “ला बिसे” कहा जाता है।
हाथ जोड़ कर
भारत के कई हिस्सों में, लोग दूसरे व्यक्ति को छुए बिना सिर्फ हाथ जोड़कर अभिवादन करना पसंद करते हैं।

अभिवादन और संवेदना प्रकट करने का विकल्प
जहाँ तक किसी व्यक्ति द्वारा अभिवादन करने का प्रश्न है, हमें यह समझना चाहिए कि किसी व्यक्ति की परवरिश और संवेदनाएँ ही उसके तौर-तरीकों को निर्धारित करती है। संवेदनाएँ स्थानीय संस्कृति, रीति-रिवाजों और विश्वास के आधार पर विकसित होती है। मुसलमानों की संवेदनाएं उनके विश्वास के अनुसार आकार लेती हैं। इसलिए मुसलमान विपरीत लिंग से हाथ नहीं मिलाते।
उदाहरण के लिए, भारत में (भारतीय सभ्यता के अनुसार), किसी महिला को गले लगाकर अभिवादन करने को आम तौर पर स्वीकृती नहीं दी जाएगी। गाल पर एक चुम्बन देकर अभिवादन करना तो और भी दुर्लभ है।
हालाँकि कई पश्चिमी देशों में गले लगाना या गाल पर चुम्बन लेना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन हमारी संवेदनाओं के कारण, आमतौर पर हम भारत में अभिवादन के इन तरीकों को नहीं अपनाते हैं। तो, अभिवादन की प्रथा जो पश्चिम के लोगों के लिए कोई बड़ी बात नहीं है, वास्तव में हमारे लिए एक बड़ी बात है।
जब अमेरिकी या फ्रांसीसी भारत में हमसे मिलने आते हैं, तो क्या उन्हें इस बात पर नाराज होना चाहिए जब हम उनसे गले लगाने या गाल पर एक चुम्बन करने से इनकार करते हैं? नहीं। इसके विपरीत, हम उनसे अपेक्षा करेंगे कि वे स्थानीय संस्कृति को समझें और उसका सम्मान करें।
लोगों की पसंद का सम्मान करें
संक्षेप में, कुछ लोग सिर्फ हाथ जोड़कर अभिवादन करने में सहज होंगे, कुछ लोग हाथ मिलाने में सहज होंगे लेकिन उन्हें गले लगने में संकोच होगा, कुछ लोग गले लगने में सहज होंगे लेकिन इससे आगे कुछ भी नहीं। जैसे हम किसी विदेशी से अभिवादन के समय हमारी संवेदनाओं का सम्मान करने की अपेक्षा करते हैं, वैसे ही हमें भी अपने साथी भारतीयों की संवेदनाओं का सम्मान करना चाहिए।
सारांश
- अलग-अलग जगहों पर अभिवादन के तरीके अलग-अलग होते हैं।
- अभिवादन का एक तरीका किसी एक स्थान के लिए मान्य होता है, पर वही तरीका अन्य स्थानों पर स्वीकार्य नहीं होता है।
- अभिवादन के एक रूप के प्रति सहजता का स्तर व्यक्ति के पालन-पोषण और संवेदनाओं पर निर्भर करता है।
- मुसलमानों के लिए, उनकी संवेदनाएं उनके विश्वास के अनुसार आकार लेती हैं। इसलिए मुसलमान विपरीत लिंग से हाथ नहीं मिलाते।
- जैसे हम किसी विदेशी से अभिवादन के समय हमारी संवेदनाओं का सम्मान करने की अपेक्षा करते हैं, वैसे ही हमें भी अपने साथी भारतीयों की संवेदनाओं का सम्मान करना चाहिए।