परिचय
यह सच है कि आज हम सब एक ऐसे समाज में रह रहे है जो स्वार्थी और केवल अपनी चिंता करने वाली मानसिकता की ओर काफ़ी तेज़ी से बढ़ती जा रही है जहां कोई व्यक्ति अगर किसी चीज़ को सबसे ज्यादा महत्व देता है तो वह सिर्फ़ उसके अपने निजी हितों के सिवा कुछ और नहीं होता हैं। समाज में रह रहे अन्य लोगों के समस्याओं के प्रति लोग धीरे-धीरे हृदयहीन और उदासीन होते जा रहे हैं। क्या इस मानसिकता से बाहर निकलने का कोई उपाय है?
प्रेरणा में ऐसी शक्ति होती है, जो लोगों की मानसिकता को बदल देती है और उन्हें उदासीनता से उपलब्धियों की ओर ले जाने के लिए सक्षम बनाती है। तो, क्या हमारे पास कोई ऐसा प्रेरणा स्रोत (रोल मॉडल) है जो हमें समाज के लिए कुछ अच्छा करने की दिशा में प्रेरित कर पाए? इसका जवाब है , हाँ।
इस लेख में, हम एक प्रेरक व्यक्तित्व के जीवन पे नज़र डालेंगे जिनके जीवन की घटना को खुद सर्वशक्तिमान ईश्वर ने कुरान में बयान किया है। वह कोई और नहीं बल्कि पैगंबर युसूफ (जोसेफ) हैं।
पृष्ठभूमी
इसके पहले की हम उनके जीवन पे चर्चा करें, हम संक्षेप में उनसे जुड़े कुछ पृष्ठभूमी की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहेंगे। अपने ही भाई-बहनों के द्वारा किए गए षड्यंत्र की वजह से, पैगंबर यूसफ़ बचपन में ही अपने पिता से अलग हो गए थे। इस घटना के वजह से वो अरब से मिस्र जा पहुंचे थे जहाँ उन्हें एक गुलाम के रूप में बेच दिया गया था वो वहाँ के राज्यपाल की हवेली में काम करते थे। राज्यपाल की पत्नी ने उन्हें उसके साथ अनैतिक संबंध बनाने के लिए मजबूर करना चाहा किन्तु जब उन्होंने ऐसा करने से साफ़ इनकार कर दिया, तो उलटे उनके ऊपर ही अन्यायपूर्ण तरीके विश्वश्घाती होने का इलज़ाम लगा कर उन्हें कैद किया जाता है।
जेल में रहने के दौरान, जेल के दो कैदी ने उनके साथ अपने सपनों को साझा करते हैं। पैगंबर जोसेफ उन कैदीयो के सपनों की सही व्याख्या करते हुए उनसे कहते हैं कि एक कैदी को मार दिया जाएगा और दूसरे को रिहाई मिलेगी और वह राजा की सेवा करेगा। पैगंबर जोसेफ ने उस रिहा होने वाले कैदी से अनुरोध किया कि जब वह राजा से मिले तो उसके बारे में ज़रूर बात करे। परंतु रिहा होने के पश्चात् वह कैदी राजा को यूसुफ के बारे में बताना भूल जाता है और इस तरह से यूसुफ़ जेल में ही रह जाते हैं।
और यूसुफ ने उन दो कैदियों में एक से, जिसके बारे में वह जानता था कि, वह रिहा किया जाएगा, उस से कहा, अपने राजा के सामने मेरे बारे में चर्चा करना। लेकिन शैतान ने उसे ऐसा करने के से भुला दिया, और इसलिए यूसुफ कई वर्षों तक जेल में रहा।
कुरान अध्याय 12: आयत 42
राजा एक सपना देखता है
राजा ने कहा: “मैंने सपना देखा है कि सात मोटी गायें हैं और सात दुबली गायें उन्हें खा रही हैं, और मकई के सात ताजे हरे और सात अन्य सूखी और मुरझायी हुई बालियाँ हैं। मेरे मंत्रिगन! मुझे बताओ कि इस सपने का क्या अर्थ है, यदि आप सपनों की व्याख्या करने में योग्य हैं।
कुरान अध्याय 12: आयत 43
उन्होंने (मंत्रियों ने) उत्तर दिया: “ये भ्रमित सपने हैं, और हम ऐसे सपनों की व्याख्या नहीं जानते हैं।”
कुरान अध्याय 12: आयत 44
रिहा किया गया कैदी यूसुफ के बारे में बताता है
फिर उन दोनों कैदीयों में से जिसे रिहा किया गया था, वह अब बहुत समय बीत जाने के बाद यूसुफ की कही हुई बात को याद करने लगा। उसने कहा: “मैं तुम्हें इस सपने की व्याख्या बताऊंगा; बस मुझे (यूसुफ से मिलने जेल में) भेज दो।
कुरान अध्याय 12: आयत 45
पूर्व कैदी यूसुफ से मिलता है और उसे राजा के सपने के बारे में बताता है। पैगंबर जोसेफ ने पूर्व कैदी को राजा के सपने की व्याख्या बतायी। वह पूर्व कैदी को बताता है कि राज्य में 7 साल की समृद्धि और 7 साल का भयंकर अकाल होगा और उसके बाद एक साल भरपूर बारिश होगी। जब राजा ने अपने स्वप्न की व्याख्या के बारे में सुना, तो उसने यूसुफ से मिलने की इच्छा जाहिर की।
राजा की यूसुफ से मुलाक़ात
यूसुफ की बेगुनाही का पता चलने के बाद राजा, यूसुफ से मिलता है।
राजा ने कहा: “उसे (यूसुफ) मेरे पास लाओ। मैं उसे अपनी सेवा के लिए विशेष रूप से चुनूंगा।” सो जब यूसुफ ने उस से बातें कीं, तब राजा ने कहा, अब तू एक प्रतिष्ठित पद पर आ गया है, जिस पर हम ने पूरा भरोसा किया है।“
कुरान अध्याय 12: आयत 54
इस स्थिति में आप क्या करेंगे?
आप ख़ुद को पैगंबर जोसेफ के जगह रख कर देखिए। एक ओर राजा चाहता है कि आप इस मुश्किल स्थिति में उसकी मदद करें और दूसरी ओर आपके साथ इस क्रम में घटनाएँ घटती है।
- आप बहुत कम उम्र में पिता से अलग हो गए हैं।
- आप कई वर्षों तक गुलाम के रूप में काम करते हैं।
- नैतिकता का प्रदर्शन करने के कारण आपको अन्यायपूर्ण रूप से कैद किया जाता है।
- आप कई साल जेल में बिताते हैं।
- रिहा किया गया कैदी राजा को आपके बारे में बताना भूल जाता है।
- आपको कुछ और वर्षों तक जेल में रहना पड़ा।
- राजा के सामने आपकी बेगुनाही साबित होती है
- आपने सपने की व्याख्या की है और राजा को सलाह दी है कि क्या करना है
ऊपर दर्ज की गई सभी मुश्किलों से गुजरने के बाद, जब किसी वयक्ति के पास ये अवसर हो कि अब वह एक स्वतंत्र जीवन जी सकता है या फ़िर अपने पिता के पास वापस जा सकता है। निसंदेह यह एक ऐसा अवसर है जिसका आप (युसुफ) जीवन भर इंतजार करते रहे हैं। किन्तु इतना सुनहरा अवसर मिलने के बाद भी युसूफ उसी राज्य में रहने और लोगों की मदद करने का फैसला करते हैं, यह जानते हुए कि इस ज़िम्मेदारी की वजह से उन्हें उस राज्य में और 14 साल बिताना पड़ सकता है। याद रखें, अपने जीवन के विपरीत परिस्तिथि में भी युसूफ ने सपने की सही व्याख्या करके और राजा को सही सलाह दी, आपने ऐसा किसी मजबूरी में नहीं बल्कि सिर्फ़ अपने फ़र्ज को अंजाम देने के लिए किया है।
ख़ुद को पैगंबर जोसेफ के जगह रख कर सोचिए कि ऐसे परिस्तिथि में आप किया करते ?
पैगंबर जोसेफ ने रिहा होने के बाद क्या किया?
पैगंबर जोसेफ की प्रतिक्रिया बहुत आश्चर्यजनक और अत्यंत प्रेरणादायक है।
यूसुफ ने कहा: “मुझे देश के भण्डारों का अधिकारी बना दो। मैं एक अच्छा रखवाला हूं और अपने काम को अच्छी तरह जानता हूं।
कुरान अध्याय 12: आयत 55
लम्बे अरसे के गुलामी और कैद में कटे जीवन के बाद मिली स्वतंत्र जीवन जीने के अवसर को पीछे छोड़, पैगंबर जोसेफ राष्ट्र के मामलों के प्रबंधन की जिम्मेदारी निभाने के लिए आगे आते हैं। जबकि वह देश उनका देश भी नहीं था और वो लोग उनके अपने लोग भी नहीं थे और ना ही युसूफ के धर्म को मानते थे। तो ज़रा सोचिए, पैगंबर जोसेफ ने राजा और उसके लोगों की मदद के लिए यह बलिदान क्यों दिया?
लोगों की चिंता
पैगंबर जोसेफ जानते थे कि अगर सूखे की स्थिति को ठीक से प्रबंधित नहीं किया गया, तो कई निर्दोष लोग (पुरुष, महिलाएं और बच्चे) और मवेशी मर जाएंगे। वह अच्छी तरह जानते थे कि उनके पास इस त्रासदी को रोकने के लिए उपयुक्त ज्ञान और क्षमता है, उनके अच्छे इस स्वभाव ने उन्हें राजा और वहां के लोगों को छोड़ कर जाने की अनुमति नहीं दी, वो भी ऐसे समय में जब राज्य को उसकी क्षमता और कुशलता की सबसे ज्यादा जरूरत थी।
आइए पैगंबर जोसेफ से प्रेरणा लें
आज के वर्तमान समय में जब अधिकांश लोग इस हद तक निर्दयी हो गए हैं कि वे सड़क पर पड़े जीवन से लड़ते हुए दुर्घटना पीड़ितों को देख कर भी अनदेखा कर देते हैं और उसकी मदद करने के बाजए सड़क पर आना-जाना जारी रखते हैं, ऐसे स्तिथि में क्या आप पैगंबर जोसेफ का अनुकरण कर सकते हैं और ईश्वर ने आपको जो क्षमताएँ एवं अवसर दिया है उसका प्रयोग कर समाज की सेवा करने के लिए आगे आ सकते हैं ? हाँ बिलकुल हम में से हर कोई ऐसा कर सकता है!
आपके समाज को आपकी जरूरत है! आपके लोगों को आपकी जरूरत है! समाज का भला करें!