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    एक श्लोक के चार चमत्कारी संकेत

    कुरान की एक श्लोक (आयत) में कुछ ऐसी जानकारी है जिसे 1400 साल पहले रहने वाला कोई भी व्यक्ति पता लगा ही नहीं सकता था और इसकी कोई संभावना ही नहीं थी कि, पैगंबर के समय या उससे पहले के मनुष्य को इस आयत में उल्लिखित जानकारी का कोई ज्ञान हो, केवल सर्वशक्तिमान ईश्वर ने ही इस जानकारी को कुरान के माध्यम से पैगंबर को बताया था।

    प्रस्तावना

    मुसलमानों का मानना ​​​​है कि गौरवशाली कुरान ईश्वर का वचन है जिसे ईश्वर ने पूरी मानवता के मार्गदर्शन के लिए अंतिम देवदूत (पैगंबर), पैगंबर मुहम्मद (उन पर शांति हो) के माध्यम से लोगों के लिए प्रकट किया था।

    क्या कुरान सच में ईश्वर का वचन है? क्या इस बात की पुष्टि की जा सकती है कि कुरान ईश्वर का वचन है? चलिए पता करते हैं।

    कुरान का एक श्लोक ही ये साबित करने के लिए पर्याप्त है कि कुरान ईश्वर का शब्द है

    यूँ तो क़ुरान में 6000 से अधिक आयतें (श्लोक) हैं पर इन आयतों में से, हम केवल एक आयत (श्लोक) के चमत्कारों की चर्चा करेंगे, जिसमें कुछ ऐसी जानकारी है जिसे 1400 साल पहले रहने वाला कोई व्यक्ति, पता लगा ही नहीं सकता था।

    कुरान के अध्याय 24 के श्लोक संख्या 40 में “जो लोग कुफ्र करते है” उनके कर्मों के बारे में बताया गया है कि इन लोगो के कर्मों की मिसाल ऐसी है की:

    या लहरों पर लहरों से ढके गहरे समुद्र में घनघोर अँधेरे की तरह, जिसके ऊपर बादलों की, काली परत पर परत होती है। यदि कोई व्यक्ति अपना हाथ बढ़ाए, तो वह शायद ही उसे देख सके। जिसे परमेश्वर प्रकाश (हिदायत) का आशीष नहीं देता, उसके पास कोई प्रकाश नहीं होगा।

    कुरान की यह आयत ही यह साबित करने के लिए काफी है कि कुरान खुदा का शब्द है

    चार चमत्कारी संकेत

    इस श्लोक में ऐसी जानकारी है जिसे 1400 साल पहले रहने वाले किसी के लिए जान पाना संभव ही नहीं था। आइए देखें कि वे चमत्कारी संकेत क्या हैं।

    1. समुद्र की गहराई में भी लहरों का होना।
    2. गहरे समुद्र में मौजूद आंतरिक लहरों को अन्य लहरों द्वारा ढक लेना।
    3. समुद्र की गहराई में घनघोर अँधेरे की कई परतें का होना।
    4. इतना अंधेरा है कि कोई अपना हाथ तक नहीं देख सकता।

    क्या यह जानकारी सही है?

    आइए यह जानने का प्रयास करते हैं कि श्लोक में बताई गई ये चार बातें सही हैं या नहीं।

    गहरे समुद्र में लहरें

    प्रायः हम सभी समुद्र की सतह पर लहरें देखते हैं। सवाल यह है कि क्या समुद्र की गहराई में भी लहरें होती हैं? उत्तर है, हाँ!

    आइए नजर डालते हैं नासा (NASA) के एक वीडियो पर। इस वीडियो में, हम देख सकते हैं कि समुद्र की गहराई में आंतरिक तरंगें कैसे बनती हैं। विडिओ में वैज्ञानिकों ने यह भी बताया हैं कि समुद्र की गहराई में इन आंतरिक लहरों की ऊंचाई 600 फीट तक हो सकती हैं।

    नासा (NASA) – आंतरिक तरंग प्रदर्शन

    देखें: https://swot.jpl.nasa.gov/resources/147/internal-wave-tank-demonstration/

    तो समुद्र की गहराई में लहरों के होने वाली बात सही साबित होता है।

    गहरे समुद्र में मौजूद लहरों को ढकने वाली अन्य लहरें

    आईये, एक प्रतिष्ठित संस्थान MIT, मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के एक वीडियो को देखते हैं। इस वीडियो में, यह दिखाया गया हैं कि समुद्र की गहराई में मौजूद आंतरिक तरंगों को कवर करने वाली अन्य तरंगों का निरीक्षण कैसे किया जा सकता हैं।

    गहरे समुद्र में लहरों पर लहरों : MIT

    इस तथ्य की आधिक जानकारी के लिए आप OCEANUS नामक एक समुद्र विज्ञान संस्थान की वेबसाइट पे पढ़ सकते हैं जो “लहरों के भीतर की लहरें” की रहस्यमय घटना के बारे में बताती है।

    Oceanus - Waves within waves - Curious Hats

    देखें: https://www.whoi.edu/oceanus/feature/the-waves-within-the-waves/

    अब यह स्पष्ट हो गया है कि गहरे समुद्र में मौजूद आंतरिक लहरों को ढकने वाली अन्य लहरों वाली बात भी सही है।

    समुद्र की गहराई में घनघोर अँधेरे की कई परतें

    zones-of-ocean - Curious Hats
    महासागर में मौजूद विभिन्न क्षेत्र

    आइए इस तस्वीर को देखें। यह चित्र समुद्र के नीचे मौजूद विभिन्न क्षेत्रों को दर्शाता है। पहला क्षेत्र जो हम देखते हैं वह एपिपेलैजिक ज़ोन है, जो समुंद्र के सतह से 200 मीटर की गहराई तक पाया जाता है। चूँकि इस बिंदु तक सूर्य का प्रकाश पहुंचता है इसलिए इसे सनलाइट जोन भी कहते है।

    अगला ज़ोन मेसोपेलैजिक ज़ोन या ट्वाइलाइट ज़ोन है जो 1000 मीटर की गहराई पर पाया जाता है।

    यदि आप 1000 मीटर या 1 किमी से नीचे जाते हैं, तो आपको बाथपेलैजिक ज़ोन या मिडनाइट ज़ोन में प्रवेश कर जाएंगे। इसे मध्यरात्रि क्षेत्र कहा जाता है क्योंकि यह मध्यरात्रि की तरह बहुत अंधेरा होता है क्योंकि यहां सूर्य का प्रकाश बिल्कुल भी नहीं पहुंच पाता है। यह समुद्र में अंधेरे की पहली परत है।

    यदि आप और नीचे जाते हैं, तो आप रसातल क्षेत्र में प्रवेश कर जाते है जिसे हम सिर्फ रसातल भी कहते हैं। यह अंधकार की दूसरी परत है।

    यदि आप अभी भी और नीचे जाते हैं, तो आपको हैडल ज़ोन या खाइयाँ दिखाई देती हैं। यह अंधकार की तीसरी परत है।

    महासागर क्षेत्र और अंधेरे की परतें

    मध्यरात्रि क्षेत्र अंधेरे की पहली परत है, रसातल अंधेरे की दूसरी परत है और खाइयां अंधेरे की तीसरी परत बनाती हैं। कुरान ने 1400 साल पहले ही इस अविश्वसनीय सत्य का बहुत सटीकता के साथ उल्लेख किया है, और आज ये वास्तविकता हम सब जानते हैं कि समुद्र की गहराई में कई अंधेरी परतें होती हैं। तो श्लोक में वर्णित तीसरा बिंदु सही है।

    इतना अंधेरा है कि कोई अपना हाथ नहीं देख सकता

    समुद्र विज्ञान अनुसंधान केंद्र मोंटेरे बे एक्वेरियम रिसर्च इंस्टीट्यूट ने “बायोल्यूमिनेसिसेंस” नामक एक घटना के बारे में उल्लेख किया है।

    गहरे समुद्र में गोता लगाना, अंतरिक्ष की यात्रा करने के समान है। इस अंधेरे में उतरने के बाद यहाँ टिमटिमाती हुई रोशनी का पता चलता है। सूरज की रोशनी इन गहराई तक नहीं जा सकती। इसके बावजूद, यह लाइट शो यहां रहने वाले जानवरों से आता है। वैज्ञानिक इसे बायोलुमिनसेंस कहते हैं – जिसका मतलब जीवित जीव रासायनिक प्रतिक्रिया का उपयोग करके अपना स्वयं का प्रकाश बनाते हैं।

    मोंटेरे बे एक्वेरियम अनुसंधान संस्थान
    (Monterey Bay Aquarium Research Institute)

    देखें: https://www.mbari.org/bioluminescence/

    गहरे समुद्र में अँधेरा

    ऊपर दिया गया बीबीसी वीडियो गहरे समुद्र में मौजूद घनघोर अंधेरे को दर्शाता है। आप जो देख सकते हैं वह पूर्ण अंधकार है। अब आप इस अंधेरे में जो टिमटिमाती रोशनी देखते हैं वो गहरे समुद्र में मछलियों एवं अन्य जीव द्वारा उत्सर्जित रोशनी हैं। क्या आप ऐसे अंधेरे में अपने हाथ या शरीर के किसी अंग को देख पाओगे? जवाब बिल्कुल नहीं होगा। तो श्लोक में वर्णित चौथा बिंदु भी सही है।

    इन जानकारीयों की खोज कब हुई थी?

    1934 – बाथस्फीयर नामक जहाज का गहरे समुद्र में अभियान

    1934 में, मनुष्यों ने बाथस्फीयर नामक जहाज द्वारा गहरे समुद्र में एक अभियान चलाया। इस अभियान में वे 922 मीटर की गहराई तक पहुंचने में सक्षम हुए थे जो एक किलोमीटर से कुछ कम गहराई थी। इस अभियान में वे, समुद्र के मेसोपेलैजिक ज़ोन (ट्वाइलाइट क्षेत्र) तक भी पार नहीं कर पाए।

    Bathysphere - Curious Hats
    1934 में बाथस्फीयर की तस्वीर

    देखें: https://divingmuseum.org/artofabyss/bathysphere/

    1954 – FNRS III का गहरे समुद्र में अभियान

    1954 में, FNRS3 नामक जहाज की मदद से मनुष्य, समुद्र के नीचे 4050 मीटर की गहराई तक पहुँचने में सफल हो पाए। 1954 में मनुष्यों ने पहली बार समुद्र के नीचे अंधेरे की पहली परत की खोज की जिसे मिडनाइट जोन कहा जाता है।

    FNRS3 - Curious Hats
    1954 में FNRS3 की तस्वीर

    देखे: https://www.britannica.com/topic/FNRS-3

    1972 – ERTS1 नामक उपग्रह ने आंतरिक तरंगों की खोज की

    1972 में ERTS1 नाम के एक सैटेलाइट ने समुद्र के नीचे लहरों की खोज की थी।

    ERTS-1 Satellite - Curious Hats
    1972 में ERTS1 नामक उपग्रह की तस्वीर

    नासा (NASA) का कहना है कि:

    16 जुलाई 1972 के ओवरपास से शुरू होकर 1973 की शरद ऋतु तक जारी रहने वाली न्यूयॉर्क बाइट पर ली गई छवियों की एक श्रृंखला ने आंतरिक तरंगों को उपस्थिती को दिखाया है जब गर्मियों में सौर ताप इस तरह के दोलनों का सहयोग करने के लिए पानी को पर्याप्त रूप से अच्छी तरह से स्तरीकृत कर देता है।

    देखे: https://ntrs.nasa.gov/citations/19740022680

    क्या 1400 साल पहले रहने वाले इंसान के लिए इन बातों का जिक्र करना संभव था?

    1934 से पहले रहने वाले मनुष्यों को गहरे समुद्र में लहरों की घटना या गहरे समुद्र में मौजूद अंधेरे परतों के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी।

    क़ुरान के सिर्फ एक श्लोक में इतनी सटीकता के साथ चार महत्वपूर्ण जानकारीयां दी गई हैं ऐसी जानकारियां जिनके बारे में, 1934 से पहले मानव जाति ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी। सवाल यह है कि: 1400 साल पहले रेगिस्तान में रहने वाले पैगंबर मुहम्मद को यह सब कैसे पता चला?

    क्या पैगंबर के समय या उससे पहले रहने वाले किसी व्यक्ति को इन तथ्यों की कोई जानकारी थी?

    अगर कोई यह दावा करे कि पैगंबर मुहम्मद ने यह जानकारी कहीं और से, या किसी ऐसे व्यक्ति से ये बातें ले लिए होंगे, जो पैगंबर के समय या उनके समय से पहले रहते थे, तो इसके लिए कोई न कोई प्रमाण तो होना चाहिए। यह बताना चाहिए कि इस आयत में उल्लिखित सभी चार सूचनाओं का उल्लेख पैगंबर मुहम्मद के समय या उससे पहले किसी और वयक्ति ने भी किया था, जैसे:

    1. समुद्र की गहराई में भी लहरों का होना।
    2. गहरे समुद्र में मौजूद आंतरिक लहरों को अन्य लहरों द्वारा ढक लेना।
    3. समुद्र की गहराई में घनघोर अँधेरे की कई परतें का होना।
    4. इतना अंधेरा है कि कोई अपना हाथ तक नहीं देख सकता।

    निष्कर्ष

    यदि आप यह साबित करने में असमर्थ हैं कि पैगंबर मुहम्मद ने यह जानकारी कहीं और से, या किसी ऐसे व्यक्ति से ले लिए होंगे जो पैगंबर के समय या उनके समय से पहले रहते थे, तो हमारे पास दूसरा एकमात्र तार्किक निष्कर्ष ये रह जाता है, कि ये श्लोक और इसमें निहित जानकारियां केवल सर्वशक्तिमान ईश्वर के माध्यम से ही आ सकती है जो सबसे बड़ा ज्ञानी है और उसी ईश्वर ने कुरान के माध्यम से ये जानकारियां पैगंबर को प्रकट की है।

    यह एक आयत इस बात का पर्याप्त प्रमाण है कि क़ुरान वास्तव में ईश्वर का वचन है।

    कुरान में ईश्वर कहते हैं:

    हम उन्हें ब्रह्मांड में और ख़ुद उनके भीतर अपनी निशानियाँ दिखाएँगे जब तक कि उन्हें यह स्पष्ट न हो जाए कि यही सत्य है। क्या यह पर्याप्त नहीं है कि आपको सबसे ज्यादा प्रेम करने वाला आपका वह स्वामी सभी चीजों का साक्षी है?

    क़ुरान अध्याय 41 आयत 53
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