हमारे समाज में कुछ लोगों का कहना है कि भारत के अक्सर मुसलमानों में देशभक्ति की कमी होती है और कुछ लोग यह तस्वीर पेश करने की कोशिश करते हैं कि सभी भारतीय मुसलमान देशद्रोही ही होते हैं। आइए इस गंभीर आरोप की जांच करते हैं।
भारतीय मुसलमानों के पास उनकी देशभक्ति का प्रमाण है।
भारतीय मुसलमान, भारत में रहने वाला एकमात्र ऐसा समुदाय हैं जो प्रमाण के साथ दावा कर सकते हैं कि वे देशभक्त हैं। आपको पता है कैसै? भारतीय मुस्लिम समुदाय भारत में रहने वाला एकमात्र समुदाय है जिसके पास पाकिस्तान और भारत के बीच किसी एक को चयन करने का विकल्प था परन्तु करोड़ो मुसलमानों ने भारत में ही रहने का फैसला किया। देशभक्ति का इससे बड़ा प्रमाण और क्या हो सकता है?
भारत की आजादी में मुसलमानों का योगदान।
हमारे देश की स्वतंत्रता आंदोलन के खातिर कई मुसलमानों ने अपने प्राणों की आहुति दी है।
क्या आपको पता है?
- जिस व्यक्ति ने स्वतंत्रता आंदोलन के दो महत्वपूर्ण नारे “भारत छोड़ो” और “साइमन, गो बैक” गढ़ा, वह यूसुफ मेहरली नाम का एक मुसलमान स्वतंत्रता सेनानी था।
- “जय हिंद” का नारा जो नेताजी सुभाश चंद्र बोस द्वारा व्यापक रूप से इस्तेमाल किया गया था, उसे ज़ैन-उल आबिदीन हसन नाम के एक मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी द्वारा दिया गया था। हसन नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा स्थापित इंडियन नेशनल आर्मी (INA) के कमांडर भी थे।
- शहीद भगत सिंह को प्रेरित करने वाले ‘इंकलाब जिंदाबाद‘ का नारा लगाने वाले मौलाना हसरत मोहानी भी एक मुसलमान स्वतंत्रता सेनानी ही थे।
- “सारे जहां से अच्छा, हिंदुस्तान हमारा“ गीत, जिसे स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सभी ने गाया था, मुहम्मद इकबाल नामक एक मुस्लिम कवि द्वारा लिखा गया था।
आज भी यह देशभक्ति गीत भारतीय सेना और नौसेना बैंड द्वारा उनके बीटिंग रिट्रीट मार्च के दौरान बजाया जाता है।
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान देने वाले मुसलमानों की सूची।
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले मुसलमानों की सूची इतनी लंबी है कि इन सबको एक साथ दर्ज करने के लिए एक पुस्तक भी कम पड़ जाएगी। इस विषय पर शांतिमय रॉय द्वारा “फ्रीडम मूवमेंट एंड इंडियन मुस्लिम्स” नाम की एक किताब लिखी गई थी, जिसे नेशनल बुक ट्रस्ट, दिल्ली द्वारा प्रकाशित किया गया था।
जलियांवाला बाग शहीदों की सूची – यह हमें क्या बताती है?
आजादी के इतिहास में सबसे अविस्मरणीय और क्रूर घटनाओं में से एक जलियांवाला बाग हत्याकांड है। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में मुसलमानों के योगदान पर सवाल उठाने वाले सभी लोगों को उस घटना के शहीदों की सूची देखनी चाहिए।
पंजाब में सेवारत ब्रिटिश अधिकारियों ने जलियांवाला बाग हत्याकांड में शहीदों और घायल लोगों की सूची तैयार की थी। आज़ादी के बाद इस सूची को पुनः ढूँढा गया जो पंजाब में ब्रिटिश सरकार के गृह विभाग की चार फाइलों में मिली। सूची उन नामों से भरी हुई है जिनमें हिंदू, मुस्लिम और सिख हैं।

जलियांवाला बाग की घटना यह भी दिखाती है कि कैसे हिंदुओं और मुसलमानों ने मिलकर हमारे देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। क्या ही वो देशभक्ति थी! पर आज इसकी तुलना उन लोगों के कार्यों से की जा रही है जिन्होंने अंग्रेजों को क्षमा-याचना पत्र लिखे थे।
क्या भारतीय मुसलमान पाकिस्तान से प्यार करते हैं?
कुछ लोगों का मानना है कि कई भारतीय मुसलमान पाकिस्तान का समर्थन करते हैं। जब भी मौका मिलता है, भारतीय मुसलमानों को, पाकिस्तान के साथ जोड़ने की कोशिश की जाती है, एक ऐसी छवि बनाने की कोशिश की जाती है कि इस्लाम की वजह से भारतीय मुसलमानों के दिल में पाकिस्तान के लिए एक सॉफ्ट कॉर्नर है। अक्सर टी वी डीबेट के कार्यकर्मों या भाषणों में “पाकिस्तान चले जाओ” जैसे बयान देने वाले नेता या लोग आसानी से देखने को मिल जाते हैं।
अगर भारतीय मुसलमान वाकई पाकिस्तान से इतना प्यार करते हैं, तो फिर वे भारत में रहना पसंद क्यों करते हैं और भारत के लिए टैक्स क्यों देते हैं?
भारतीय मुसलमान और पाकिस्तान में कई लोग इस्लाम का पालन करते हैं लेकिन याद रखें, भारत के मुसलमान भारतीय मुसलमान हैं और पाकिस्तान के मुसलमान पाकिस्तानी मुसलमान हैं।
सिर्फ इस्लाम के कारण, एक भारतीय मुसलमान को पाकिस्तान में वोट देने या जमीन खरीदने का अधिकार नहीं मिल सकता है और न ही वो सिर्फ मुस्लिम होने के बुनियाद पे, पाकिस्तानी नागरिक के बराबर किसी अधिकार का आनंद ले सकता है। पाकिस्तानी वायु सेना द्वारा गिराया गया कोई बम भारतीय मुसलमानों को ये देखकर नहीं छोड़ देगा कि वो इस्लाम को मानने वाला है। हर समझदार भारतीय मुसलमान इस बात को बहुत अच्छी तरह समझता है और हमेशा भारत का ही समर्थन करता है।
विश्वास और देशभक्ति
वास्तव में आस्था और देशभक्ति को एक साथ जोड़ना बहुत बड़ी भूल है। उदाहरण के लिए: नेपाल दुनिया का एकमात्र हिंदू देश है। इसलिए, क्या कोई ये कह सकता है कि नेपाल तो हमेशा हर परिस्तिथि में भारत के साथ मित्रवत व्यवहार करेगा सिर्फ इस बिना पे कि दोनों देशों में हिंदू रहते हैं। जबकि वास्तविक्ता इसके उलट है, नेपाल ने कई मौकों पे चाइना के दबाव में या अपनी राजनीतिक परिस्तिथि के कारण भारत की खिंचाई की है। आइए नजर डालते हैं इससे जुड़ी कुछ सुर्खियों पर।
- “नेपाल ने भारत की अवहेलना की, चीन के साथ किया संयुक्त सैन्य अभ्यास“
- “नेपाल ने भारत की अनदेखी की, विरोधाभास के बीच अपनाया संविधान“
- “भारत के लिए हिमालय की अवहेलना क्योंकि नेपाल ने किया चीन के साथ रेलवे समझौते पर हस्ताक्षर“
- “नेपाल के पीएम ने भारत की अनदेखी की, पहले चीन का दौरा करेंगे“
आपको इस तरह की बहुत सारी सुर्खियाँ देखने को मिल जायेंगी। सुर्खियों से यह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि नेपाल भारत से ज्यादा चीन का पक्षधर है। नेपाल जैसा हिंदू देश, भारत जैसे हिन्दू पड़ोसी देश की अनदेखी कर एक कम्युनिस्ट देश (चीन) का पक्ष क्यों लेता है? यही है राजनीति और राष्ट्र कल्याण! आस्था अलग है और राष्ट्रीय कल्याण अलग है। यही बात भारतीय मुसलमानों और पाकिस्तान पर भी लागू होती है। मज़हब के बुनियाद पे किसी भी राष्ट्र के लोग अपने देश के राष्ट्र कल्याण के राजनितिक फैसले को प्रभावित होने नहीं देते है।
भारतीय मुसलमान और क्रिकेट
कई लोगों का ऐसा सोचना हैं कि भारतीय मुसलमान हमेशा क्रिकेट में पाकिस्तान का समर्थन करते हैं और इसलिए, वो देशभक्त नहीं हैं। हमें यह समझना चाहिए कि कोई खेल या खेल भावना कभी भी देशभक्ति का पैमाना नहीं हो सकता। खिलाड़ी अपने जुनून और पैसे के लिए खेल खेलते हैं और समर्थक मनोरंजन के लिए खेल देखते हैं। क्रिकेट को इससे अलग क्या बनाता है? कुछ भी तो नहीं!
यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि देशभक्ति को मापने के लिए केवल क्रिकेट के खेल का उपयोग किया जाता है। अन्य खेल क्यों नहीं? फ़ोर्स इंडिया के बजाय F1 कार रेसिंग में Red Bull या McLaren Mercedes का समर्थन करने वाले हिंदुओं के बारे में क्या? क्या अब हमें इन हिंदुओं को देशद्रोही कहना चाहिए?
कुछ लोग ये आवाज़ उठाते रहते हैं कि पाकिस्तान के साथ हर तरह का लेन देन करना बंद कर दिया जाना चाहिए, तो हम उनसे, उन हिंदू संगीत प्रेमियों के बारे में पूछना चाहेंगे जो नुसरत फतेह अली खान, आतिफ असलम आदि के गीतों को पसंद करते हैं? क्या वे भी देशद्रोही नहीं हैं? अगर भारत में उन हिंदुओं को जो नुसरत फतेह अली खान, आतिफ असलम, आदि के संगीत प्रेमी हैं, देशद्रोही नहीं माना जाता हैं, तो क्रिकेट को कौन सी चीज़ अपवाद बना देती है? संगीत, खेल, कला आदि भौगोलिक सीमाओं से परे होते हैं और देशभक्ति को मापने के लिए इन चीज़ों को कभी भी पैमाना नहीं बनाया जाना चाहिए।
हमें उम्मीद है कि अब यह बिल्कुल स्पष्ट हो गया होगा कि भारतीय मुसलमानों और भारत के प्रति उनकी देशभक्ति पर सवाल उठाने वाले झूठे प्रचार में कोई सच्चाई नहीं है।