परिचय
ग्रहणों के बारे में बोलते हुए, पैगंबर मुहम्मद (उन पर शांति हो) ने कहा:
सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण ईश्वर के दो संकेत हैं। सूर्य और चाँद का ग्रहण, किसी के मृत्यु या जन्म के वजह से नहीं होता हैं। इसलिए ग्रहण देखते समय ईश्वर को याद किया करो।
सही बुखारी हदीस की किताब से
पैगम्बर के इस कथन को ध्यान से पढ़ने पर हमारे सामने दो महत्वपूर्ण प्रश्न होंगे।
- ग्रहण के बारे में वो चमत्कारी संकेत क्या है?
- पैगंबर मुहम्मद (उन पर शांति हो) ने ऐसा क्यों कहा कि “सूर्य और चंद्रमा का ग्रहण, किसी की मृत्यु या जन्म के वजह से नहीं होता हैं।”
इस लेख में, हम इन दोनों प्रश्नों के जवाब पर चर्चा करेंगे।
सूर्य ग्रहण
आइए पहले सूर्य ग्रहण के बारे में समझते हैं कि, ईश्वर की ओर से यह एक चमत्कारी संकेत कैसे है?
सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, जिससे वह सूर्य से पृथ्वी पर आने वाले प्रकाश में रुकावट पैदा करता है।
निचे दिए गए तस्वीर में, जब आप सूर्य और चंद्रमा को एक दूसरे के बराबर में रख कर देखते हैं, तो चंद्रमा, विशाल सूर्य के सामने एक छोटे कंकर की तरह दिखाई देगा। तो चंद्रमा, जो आकार में सूर्य से इतना छोटा होने के बावजूद, इस विशाल सूर्य के प्रकाश को पूरी तरह से रोकने में कैसे सक्षम है? यही वह बात है जहाँ हमें एक चमत्कारी संकेत मिलता हैं जिसे जानकर हम हैरान हो जाएंगे।

खगोल विज्ञान में मूल बातें
इससे पहले कि हम इस चमत्कारी संकेत के बारे में जानें, हमें खगोल विज्ञान के कुछ बुनियादी बातों को समझना चाहिए।
जब वस्तुएँ हमारे नज़दीक होती हैं, तो वह दूर की वस्तुओं की तुलना में बड़ी प्रतीत होती हैं। उदाहरण के लिए, रात के समय आकाश में अधिकांश तारे छोटे सफेद बिंदुओं की तरह दिखते हैं। वास्तव में, उनमें से कई तारे हमारे सूर्य से काफी बड़े हैं। पृथ्वी से बहुत दूर होने के वजह से, यह तारे हमें इतने छोटे दिखते हैं!

सौर मंडल में हैरान करने वाली सटीक एवं सुनिश्चित व्यवस्था
आइए अब सूर्य ग्रहण पर वापस आते हैं। सूर्य और चंद्रमा के आकार की तुलना करने पे आप पाते हैं कि, चंद्रमा सूर्य से 400 गुना छोटा होता है।

हैरान करने वाली बात यह है कि, सूर्य और चन्द्रमा के बीच की दूरी भी, चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी की तुलना में 400 गुना अधिक है। यही कारण है कि आकाश में सूर्य और चंद्रमा एक ही आकार के प्रतीत होते हैं।

यही कारण है कि सूर्य के सामने एक छोटे से कंकड़ की तरह दिखने वाला चंद्रमा विशाल सूर्य के प्रकाश को पूरी तरह से रोक लेने में सक्षम है। इससे भी अधिक आश्चर्यजनक बात यह है कि पूरे सौर मंडल में यह घटना सिर्फ़ हमारी पृथ्वी और चंद्रमा के लिए ही खास है, किसी अन्य ग्रह-चंद्रमा के संयोजन में इस प्रकार की घटना देखने को नहीं मिलती है।
क्या यह सटीक और सुनिश्चित वयवस्था किसी विस्फोट के परिणामस्वरुप बन गया था?
ब्रह्माण्ड का निर्माण बिग बैंग की घटना के परिणाम में हुआ था जिसके फ़लस्वरूप एक अरब से अधिक आकाश गंगाएँ और तारे बने थे, क्या बिंग बैंग जैसी घटना, चंद्रमा एवं सूर्य के आकार व दूरी की इस अविश्वसनीय क्रम और आश्चर्यजनक सटीकता को अपने आप बना सकते हैं ?
इसका उत्तर नहीं है, क्योंकि हम सभी जानते हैं कि आमतौर पर केवल एक विस्फोट के फ़लस्वरूप विनाश और अराजकता की स्तिथि ही पैदा हो सकती है। इस तरह के पक्की गणितीय सटीकता वाली डिजाइन और सुनिश्चित क्रम की रचना सिर्फ़ एक विस्फ़ोट मात्र से होना संभव नहीं है।
पैगंबर मुहम्मद ने ग्रहण को ईश्वर की ओर से एक संकेत क्यों कहा?
पैगंबर मुहम्मद (उन पर शांति हो) ने ग्रहणों को ईश्वर के संकेत कह कर बताया, क्योंकि ये ग्रहण हमें ब्रह्मांड में मौजूद अविश्वसनीय डिजाइन, क्रम और सटीकता की ओर ईशारा करती है।
पैगंबर मुहम्मद ने क्यों कहा था “किसी भी व्यक्ति की मृत्यु या जन्म के वजह से ग्रहण नहीं होता है“?
दरअसल जिस दिन पैगंबर मुहम्मद के दो साल के बेटे की मृत्यु हुई उस दिन ग्रहण था। लोग कहने लगे, “ग्रहण, पैगंबर मुहम्मद के बेटे की मृत्यु के वजह से हुआ है”।
जब पैगंबर मुहम्मद को यह पता चला, तो उन्होंने स्पष्ट कर दिया किया कि, ग्रहण किसी भी व्यक्ति की मृत्यु और जन्म के लिए नहीं होता है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि, अगर पैगंबर मुहम्मद चाहते तो इस मौक़े का फ़ायदा उठा सकते थे, उनको यह स्पष्ट करने की कोई ज़रुरत नहीं थी कि लोग ग्रहण और उनके बेटे की मृत्यु के बारे में क्या बातें कर रहे हैं। उस वक्त अगर आप चुप रह जाते तो सभी लोग ये मान लेते कि ग्रहण का लगना पैगंबर के बेटे की मृत्यु के कारण हुआ है। इससे उन्हें आसानी से अधिक अनुयायी और अधिक ऊंचा दर्जा प्राप्त हो जाता। लेकिन, पैगंबर ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने इस भ्रम को मिटाया और यह सुनिश्चित किया कि लोग यह न समझ बैठे कि ग्रहण उनके बेटे की मृत्यु के कारण हुआ था।
अगर हम पैगंबर के जीवन की इस घटना की तुलना, उन ढोंगी आध्यात्मिक गुरुओं के कृत्यों करें , जो लोग अपने छोटे छोटे स्वार्थ के लिए झूठ बोलते हैं, तब हम पैगंबर की सच्चाई और ईमानदारी को महसूस कर पाएँगे, इससे हमें यह स्पष्ट होता है कि वह वास्तव में ईश्वर के पैगंबर थे एवं उनका कोई और निजी मकसद नहीं था।
निष्कर्ष
- ग्रहण ब्रह्मांड में सटीक क्रम एवं सुनिश्चित गणितीय व्यवस्था की ओर हमारे ध्यान को आकृष्ट करते हैं।
- बिग बैंग जैसे अनियमित विस्फोट के परिणामस्वरूप ऐसी सटीक क्रम एवं सुनिश्चित गणितीय व्यवस्था अस्तित्व में नहीं आ सकती है।
- केवल एक परम शक्ति ही इस तरह के सटीक क्रम एवं सुनिश्चित गणितीय व्यवस्था को बना सकती है और इसे व्यवस्थित कर सकती है। चूँकि ग्रहण हमें ईश्वर की याद दिलाते हैं, यह ईश्वर की ओर से हमारे लिए संकेत हैं।
- पैगंबर मुहम्मद द्वारा जारी बयान यह स्पष्ट करता है कि ग्रहण का होना, किसी के मृत्यु या जन्म के वजह से नहीं होता है, यह बयान उनकी ईमानदारी और सच्चाई को दर्शाता है।