कई लोगों की यह गलतफहमी है कि इस्लाम एक अरबी धर्म है। यह सच है कि पैगंबर मुहम्मद अरब में पैदा हुए थे, लेकिन यह बात एक वैश्विक विचारधारा को “अरबी विचारधारा” नहीं बनाता है।
क्या हिंदू धर्म एक भारतीय विचारधारा है?
हम सभी जानते हैं कि वेद और हिंदू दर्शन का उदय भारत से हुआ था । क्या अब हमें “हिंदू धर्म” को एक भारतीय विचारधारा मानना चाहिए और इसे केवल भारत तक ही सीमित रखा जाना चाहिए? क्या ये सत्य नहीं है कि स्वामी विवेकानंद और स्वामी प्रभुपाद ने भारत के बाहर भी हिंदू धर्म का प्रचार किया था, यह दर्शाता है कि उन्होंने हिंदू धर्म को कभी भी “भारतीय” तक सिमित नहीं रखा । जब हिंदू धर्म को केवल इस बिना पे “भारतीय” कहना उचित नहीं है कि इसका उदय भारत में हुआ था, तो इस्लाम को “अरब धर्म” कहना वो सिर्फ इसलिए कि इसका उदय अरब में हुआ था कितना सही है?

बौद्ध धर्म के बारे में क्या?
बुद्ध का जन्म भारत में हुआ था और बौद्ध धर्म की उत्पत्ति भारत में हुई थी लेकिन दुनिया में बौद्धों की सबसे अधिक संख्या वाला देश चीन है। कंबोडिया, थाईलैंड, श्रीलंका, भूटान, बर्मा, दक्षिण कोरिया, जापान और सिंगापुर जैसे कई देश बौद्ध देश हैं। यदि वे बौद्ध धर्म को सिर्फ एक भारतीय विचारधारा के रूप में देखते हैं, तो क्या वे बौद्ध धर्म का अनुसरण कर पाते?
साम्यवाद के बारे में क्या?
इसी तरह कार्ल मार्क्स द्वारा प्रतिपादित साम्यवाद की उत्पत्ति रूस में हुई थी। क्या हम साम्यवाद को एक रूसी विचारधारा कहते हैं?
मुसलमानों की आबादी
क्या आप जानते हैं कि मुस्लिम आबादी का केवल 20% अरब है? बाक़ी 80% मुसलमान गैर-अरब हैं। ये आंकड़े स्पष्ट करते है की मुस्लिम सिर्फ अरबों का धर्म नही है |

नोट: इस्लाम धर्म की शुरआत पैगंबर मुहम्मद द्वारा नहीं
हुई थी। “इस्लाम” जीवन का एक तरीका है जिसमें “भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण और आज्ञाकारिता” की प्रतिबद्धता होती है। मुस्लिमों का ये विश्वास हैं कि पहले इंसान आदम और उनके बाद आने वाले ईश्वर के सभी पैगंबरों ने जीवन का एक ही तरीका सिखाया है जो “परमेश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण और आज्ञाकारिता” का मार्ग है। पैगंबरों की इस लंबी पंक्ति में अंतिम पैगंबर पैगंबर मुहम्मद (स०) हैं।
सत्य और विचारधारा के औचित्य की तलाश करें
प्रत्येक विचारधारा किसी न किसी भौगोलिक स्थिति से उत्पन्न होती है। किसी भी विचारधारा को उस स्थान तक सीमित करना गलत है जहां से उसका उदय हुआ था। हमें विचारधारा के पीछे की सच्चाई और तर्क को देखना चाहिए न कि यह कहां से शुरू हुआ।