परिचय
इस सच्चाई से कोई इनकार नहीं कर सकता की कि आज हम जीवित हैं और एक दिन हमें मर जाना है। क्या आपने कभी सोचा है कि हम इस धरती पर क्यों मौजूद हैं? चलिए आज इस प्रशन का उत्तर ढूँढने की कोशिश करते हैं।
प्रशन का जवाब ढूँढने से पहले, आप अपने चारों ओर मौजूद सभी चीज़ों पे नज़र डालें। आप उन चीजों से घिरे हुए हैं जिन्हें या तो ईश्वर ने बनाया है या मनुष्य द्वारा निर्मित की गई है। अब, यहाँ एक सवाल खुद से पूछिए कि मानव निर्मित जो कुछ भी चीज़े हमारे चारों ओर दिखती है उसे क्यों बनाया गया है? क्या इस सूची में कोई भी ऐसी वस्तु है जिसे बिना किसी उद्देश्य के बना दिया गया है ? आपका जवाब स्पष्ट रूप से नहीं होगा।
आइए हम अपने शरीर के अंगों को देखें। क्या हमारे शरीर में कोई भी ऐसा अंग है जिसका कोई काम नहीं है और बिना उद्देश्य के हमें मिल गयी है?
इसी तरह हम अपने आस-पास की सभी प्राकृतिक चीजों पे नज़र डालें जैसे पेड़, पहाड़, नदिया, चाँद, सूरज आदि। क्या इस सूची में भी कोई ऐसी चीज़ है जो बिना किसी उद्देश्य के इस ब्रह्माण्ड में मौजूद हैं?
जब मनुष्य द्वारा निर्मित छोटी से छोटी चीज़ का भी कुछ न कुछ उद्देश्य होता है, जब हमारे शरीर के एक एक अंग को एक विशेष कार्य के लिए बनाया गया है, जब पेड़, पहाड़, नदिया, चाँद , सूरज आदि सभी प्राकृतिक चीजों को बनाने का एक उद्देश्य है, तो क्या यह मानना तर्कसंगत है कि पूरी मानव जाति बिना किसी उद्देश्य के इस धरती पे मौजूद है?
हम इस धरती पे क्यों मौजूद हैं? ज्यादा से ज्यादा धन दौलत और शोहरत प्राप्त करने के लिए? खूब मज़े करने के लिए? दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति बनने के लिए? नहीं बिल्कुल भी नहीं, ईश्वर ने मानव को जितनी बुधि, विवेक और क्षमता दी है इसे देखकर ये निसंदेह कहा जा सकता है की मानव जीवन का उद्देश्य इतना सिमित नहीं हो सकता बल्कि इससे कहीं ज्यादा बड़ा होना चाहिए । क्या हमने कभी इस विषय पे सोचा है?
आपके अस्तित्व का उद्देश्य कौन तय करता है?
आप कह सकते हैं, “इंसान अपने अस्तित्व का उद्देश्य खुद तय करता हूं।”
आइए हम एक कलम का उदाहरण लें। एक कलम का असली उद्देश्य क्या होता है? एक कलम का असली उद्देश्य लिखना होता है। पर इस कलम का सही उद्देश्य किसने तय किया – कलम को उपयोग करने वाले ने या कलम को बनाने वाले ने ? जवाब होगा : वह व्यक्ति जिसने पहली बार कलम को बनाया था उसी ने इसके उद्देश्य को भी बताया। हालांकि, एक उपयोगकर्ता कलम का उपयोग, अपनी पीठ को खरोंचने के लिए भी कर सकता है, पर इससे क्या हम कभी यह निष्कर्ष निकला जा सकता है कि कलम को पीठ को खरोंचने के लिए बनाया गया था?
निसंदेह किसी वस्तु के आविष्कारक या निर्माता से ही ये अपेक्षा की जा सकती है की वही उस वस्तु के सही उद्देश्य और उपयोग को तय कर सकता है।
इसी तरह, इस दुनिया में कई लोग अपने अस्तित्व के लिए खुद से कुछ न कुछ उद्देश्य तय कर लेते है, लेकिन क्या कोई ये कह सकता है कि यही उद्देश्य मानव के अस्तित्व का वास्तविक उद्देश्य है ? बिल्कुल नहीं, बल्कि हम अपने अस्तित्व के वास्तविक उद्देश्य को सिर्फ और सिर्फ हमें बनाने वाले निर्माता से ही पता कर सकते हैं।
क्या आप अपने निर्माता के बारे में जानते है?
जब आप कोई पुल, या कोई मशीन या कोई ऑटोमोबाइल गाड़ी को देखते हैं, तो आप इस बात से कतई इनकार नहीं कर सकते कि इसके अस्तित्व के पीछे कोई न कोई एक निर्माता होता है, चाहे वह एक कंपनी हो या एक व्यक्ति। तो इस ब्रह्मांड के बारे में आपकी राय क्या है ? क्या ये अपने आप बन गई है या इसे भी बनाने वाली कोई शक्ति है?
क्या आपको इस ब्रह्मांड में एक ख़ास पैटर्न, अनुशासन और डिजाइन नहीं दिखता हैं? उदाहरण के लिए, सूर्योदय हो या सूर्यास्त या सूर्य और चंद्र ग्रहण इन सभी घटनाओं के सुनिश्चित समय की गणना अगले सैकड़ों वर्षों के लिए निर्धारित लिए की जा सकती है। यह इसलिए संभव है क्यों की ब्रह्मांड में मौजूद सितारों, ग्रहों एवं चाँद के बीच एक ग़जब का संतुलन,सद्भाव और एक ख़ास सिंक्रनाइज़ेशन देखने को मिलता है। ब्रह्मांड में मौजूद यह उत्कृष्ट डिजाइन और सेट पैटर्न हमारे लिए एक सर्वश्रेष्ट साक्ष्य है जो हमें इस ओर संकेत देते है की निसंदेह इस ब्रह्माण्ड की रचना करने वाला एक सर्वोपरि शक्ति है।
दीवार पर बेतरतीब ढंग से विभिन्न रंगों के पेंट फेंकने के पश्चात् हो सकता है कि हाथ या पक्षी की तरह कुछ डिजाइन बन जाए, लेकिन इससे मोना लिसा की पेंटिंग कभी नहीं बन सकती है। हमारे ब्रह्मांड की डिजाइन मोना लिसा की पेंटिंग की तुलना में बहुत ही अधिक जटिल और गहन है। यह विश्वास करना कितना तर्कसंगत है कि यह उत्कृष्ट डिजाइन बिना किसी डिजाइनर के स्वतः अस्तित्व में आया था?
हम सभी जानते हैं कि कोई भी विस्फोट विनाशकारी परिवृति का होता हैं। क्या वाकई प्रकृति का यह सुंदर और परीपूर्ण डिजाइन केवल एक संयोग मात्र से या बिग बैंग जैसे विस्फोट से अस्तित्व में आ सकता है? क्या आप विश्वास करेंगे अगर कोई यह कहे कि मर्सिडीज बेंज और रोल्स रॉयस जैसी कारें किसी जंक यार्ड में विस्फोट से बन गई है?
यदि परमेश्वर ने ब्रह्मांड को बनाया है, तो परमेश्वर को किसने बनाया है?
संसार में मौजूद हर चीज़ और हर घटना के आरंभ और अंत को मापने के लिए हम “समय” नामक इकाई का उपयोग करते हैं। ब्रह्मांड की तरह, “समय” भी अस्तित्व में आया। इस ब्रह्मांड में बनाई गई सभी चीजें “समय” पर निर्भर करती हैं, इसलिए यहाँ पाए जाने वाले सभी चीज़ों की शुरुआत और अंत सुनिश्चित है। सृष्टिकर्ता जिसने ब्रह्मांड की रचना की थी, वह “समय” के अस्तित्व में आने से पहले ही मौजूद था इसलिए, वह समय के आयाम से स्वतंत्र है। चूँकि सृष्टिकर्ता “समय” से स्वतंत्र है, इसलिए सृष्टिकर्ता का न तो कोई आरम्भ हो सकता है और न ही कोई अंत हो सकता है और वह हमेशा अस्तित्व में रहा है। ऐसे शक्ति के निर्माता की कल्पना करना असंभव है, जो स्वंय हमेशा के लिए अस्तित्व में हो और अनंत हो।
क्या अल्लाह ने तुम्हें पैदा किया है और तुम्हें मार्गदर्शन के बिना छोड़ दिया है?
अल्लाह ने तुम्हें सिर्फ जीवन ही नहीं दिया है और न ही तुम्हें मार्गदर्शन के बिना इस धरती पे छोड़ दिया। यदि आपको एक कार का डेमो देना होगा, तो आप एक बेहतरीन कार का उपयोग करेंगे, न कि बाइक का। उसी तरह, परमेश्वर ने हमारे बीच ही कुछ धर्मी लोगों को चुना ताकि वे अन्य मनुष्यों को एक बेहतरीन मनुष्य होने का डेमो दें कि कैसे एक अच्छा जीवन जीना है। इन चुने गए ख़ास व्याक्तियों की हम परमेश्वर के द्वारा भेजे गए पैगम्बर कहते है।
मानवता के लिए पैगम्बर – रोल मॉडल
दुनिया में आने वाले सभी पैगम्बर धर्मी इंसान थे जिन्होंने हमारे लिए एक रोल मॉडल के रूप में अपना जीवन प्रस्तुत किया। ये पैगम्बर हमारे जैसे ही मानव थे और उनके पास कोई दिव्य गुण नहीं था। ईश्वर ने भारत सहित हर देश एवं हर कौम में में पैगंबर भेजे जिसकी चर्चा प्राय हर धार्मिक ग्रंथों में होती है। कुछ पैगम्बरो के नाम इस प्रकार हैं: नूह, इब्राहीम, दाऊद, सुलैमान, मूसा और यीशु।
पैगंबरों की श्रृंखला में अंतिम पैगंबर, पैगंबर मुहम्मद(उन पर शांति हो) थे। पैगंबर मुहम्मद(उन पर शांति हो) को इस संसार के अंत तक, पूरी मानवता के लिए भेजा गया था। परमेश्वर ने इनसे पहले आने वाले सभी पैगम्बरों को केवल किसी न किसी विशेष लोगों के लिए और एक विशेष समय के लिए भेजा था।
पैगम्बरो की शिक्षाएं
परमेश्वर के सभी पैगम्बरों ने मूलतः तीन बातें सिखाईं। वे इस प्रकार हैं:
- हमारे अस्तित्व का उद्देश्य
- ईश्वर के आधारभूत विशेषताएं
- मौत के बाद मिलने वाली जीवन में ईश्वर के प्रति जवाबदेही
अस्तित्व का उद्देश्य
हमारे अस्तित्व का उद्देश्य केवल हमारे सृष्टिकर्ता की पूजा करना और उसकी आज्ञा का पालन करना है, न कि किसी और चीज़ की। (सृष्टिकर्ता की पूजा करें, न कि मूर्तियों, छवियों, सूर्य, तारे, ग्रहों आदि जैसी रचनाओं की। किसी को या किसी भी चीज़ को परमेश्वर के समान स्तिथि में न लाएं। ईश्वर के अस्तित्व से इनकार न करें)।
ईश्वर की विशेषताएं
- ईश्वर केवल एक ही है और परमेश्वर के बराबर कोई नहीं है।
- ईश्वर को भोजन, नींद, परिवार, पत्नी, बच्चों आदि जैसी किसी भी चीज की आवश्यकता नहीं है। इसलिए, परमेश्वर न तो सोता है, न खाता है और न ही उसके माता-पिता, पत्नी और बच्चे हैं।
- ूँकि परमेश् वर सर्वशक्तिमान है और वह उसकी रचनाओं की तरह नहीं है, इसलिए परमेश् वर न थकता है, न ही भूलता है और न ही गलतियाँ करता है।
- परमेश् वर सभी मनुष्यों से प्रेम करता है एवं जाति, रंग या वंश के आधार पे किसी से भेद नहीं करता (वामशा/खंडन)।
मौत के बाद का जीवन
एक दिन दुनिया खत्म हो जाएगी। पहले इंसान से लेकर आखिरी तक के सभी मनुष्यों को क़यामत के दिन पुनः ज़िंदा किया जाएगा और उनके कर्मों के बारे में उनसे पूछताछ की जाएगी। जिन लोगों ने एक सच्चे परमेश्वर की उपासना की है और अच्छे कर्म किए हैं, उन्हें उसका प्रतिफल मिलेगा उन्हें प्रुस्कृत किया जायेगा और उनका ठिकाना स्वर्ग में होगा और जिन लोगों ने परमेश्वर की अवज्ञा की है, उन्हें दण्डित किया जाएगा और उनका ठिकाना नर्क में होगा। स्वर्ग और नरक का जीवन अनन्त और कभी न खत्म होने वाला होगा।
क्या हमें मौत के बाद जीवन की आवश्यकता है?
हम सभी न्याय चाहते हैं, लेकिन आप देखते हैं कि यह दुनिया अन्याय से भरी हुई है, जिसमें बुरे लोग आनंद ले रहे हैं और अच्छे लोग पीड़ित हैं। एक और अन्याय यह है कि एक हत्यारे जिसने कई लोगों को मार डाला है, उसे पर्याप्त रूप से दंडित नहीं किया जा सकता है क्योंकि भले ही हत्यारे को मौत की सजा मिल जाए, जो केवल एक पीड़ित के मौत की सजा के बराबर होगी। बाकी के बारे में क्या? कई धर्मी लोगों को यातनाएं दी गई हैं और कुछ को मार भी दिया गया है।
क्या आपको नहीं लगता कि उन धर्मी लोगों को उनकी धार्मिकता के लिए पुरस्कृत किया जाना चाहिए? इससे पता चलता है कि पृथ्वी पर इस जीवन में पूर्ण न्याय असंभव है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर, जो सबसे बड़ा न्याय प्रेमी है, अन्याय को कभी भी जीतने नहीं देगा। परमेश् वर ने हमें मौत के बाद के जीवन में पूर्ण न्याय देने का वादा किया है।
क्या मौत के बाद जीवन संभव है?
आप इस बात से सहमत होंगे कि पहली बार किसी चीज़ की रचना करना मुश्किल हो सकता है किन्तु उसी चीज को फिर से दोहराना आसान होता है। जब परमेश् वर को हमें पहली बार जीवन देने में कोई कठिनाई नहीं हुई, तो उसके लिए, मरने के बाद हमें जीवन देने में क्या कठिनाई हो सकती है? हमारी मृत्यु के बाद हमें जीवन में वापस लाना वास्तव में परमेश्वर के लिए बहुत आसान है।
ऐसा कौन सा पाप है जिसे परमेश्वर क्षमा नहीं करेगा?
परमेश् वर एक ऐसे व्यक्ति को क्षमा नहीं करता है जो सत्य को जानने के बाद भी असत्य का मार्ग चुनता है और ईश्वर की उपासना की गलत अवधारणा से ग्रसित होता है जैसे
- ईश्वर के अलावा किसी चीज़ पूजा करना, किसी चीज़ को ईश्वर के बराबर मानना और उसके आगे झुकना जैसे हवा, पानी, आग, ग्रहों (ग्रहों और देवताओं) एवं अन्य मानव निर्मित चीजें जैसे पत्थर की नक्काशी, मूर्तियां, छवियां, संतों की कब्रें, पवित्र पुरुषों, आदि।
- मनुष्यों को परमेश्वर का पुत्र या पत्नी या उसके वंशज कहकर या यह दावा करना कि उनमें परमेश्वर के समान गुण हैं
- परमेश्वर पर अविश्वास रखना
भगवान के अलावा किसी भी चीज़ या किसी अन्य की पूजा करना कृतघ्नता का उच्चतम रूप है
चाहे आप जिस भी धर्म के मानने वाले हों, आपका भरण पोषण सदैव उस एक दयालु एवं कृपाशील परमेश्वर के द्वारा ही किया जाता है। चलिए एक उदाहरण लेते हैं। आखिरी बार आपने पेशाब करने के बाद ईश्वर का शुक्रिया अदा कब किया था? आप हैरान हो सकते हैं, कि क्या वाकई मुझे पेशाब करने के लिए भी भगवान को धन्यवाद देना चाहिए? हां बिलकुल, एक डायलिसिस रोगी से पूछें तब आप उस बिंदु को समझ पाएंगे। हमारे जीवन में, हम परमेश्वर से अनगिनत कृपा और उपकार का आनंद लेते हैं।
ज़रा सोचिए कि जब आप उन चीज़ों की उपासना करते हैं जो आप जैसे इंसानों के ज़रिए बनाई गई हैं, तो आप अपने सृह्जन्हार के लिए कितने कृतघ्न हैं। यहां तक कि एक कुत्ता जिसके पास तर्कसंगत दिमाग नहीं है, वह अपने मालिक को पहचानता है और उसके लिए आभारी रहता है। तो हम मनुष्यों के बारे में आपकी क्या राय है ?
इस्लाम क्या है?
इस्लाम पैगंबर मोहम्मद द्वारा स्थापित एक नया धर्म नहीं है। इस्लाम एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ है ईश्वर के प्रति आज्ञाकारिता (शरणागति)। परमेश्वर के सभी पैगंबरों ने परमेश्वर के प्रति जीवन-आज्ञाकारिता का एक ही तरीका सिखाया, जिसे हम अरबी में इस्लाम कहते हैं।
मुसलमान कौन है?
जो कोई भी परमेश्वर की आज्ञा का पालन करता है और एक ईश्वर की पूजा करता है, उसे अरबी में मुस्लिम कहा जाता है। यदि आप परमेश्वर की आज्ञा का पालन करते हैं और सिर्फ उसकी पूजा करते हैं, तो आपको अरबी में एक मुस्लिम कहा जाता है।
अल्लाह कौन है?
अल्लाह सिर्फ मुसलमानों का व्यक्तिगत ईश्वर नहीं है। अरबी भाषा में अल्लाह का अर्थ है “ईश्वर”। उदाहरण के लिए: पानी को अंग्रेजी में वाटर कहते है। हिंदी में पानी या जल कहते है। कन्नड़ में नीरू, और अरबी में मोया कहते है। इसी तरह ईश्वर को अंग्रेजी में गॉड कहा जाता है, हिंदी में ईश्वर या भगवान, कन्नड़ में देवारू और अरबी में अल्लाह कहते है।
कुरान क्या है?
कुरान मनुष्य के लिए ईश्वर की अंतिम श्रुति-प्रकाश (मानव जाति के लिए निर्देश की पुस्तक) है जो भगवान के अंतिम दूत, पैगंबर मुहम्मद को दिया गया था। कुरान पैगंबर मुहम्मद द्वारा नहीं लिखा गया था बल्कि पूरा कुरान ईश्वर का वचन है जो पिछले 14 शताब्दियों से अपरिवर्तित रूप में हमारे सामने आज भी मौजूद है। कुरान में अमूल्य ज्ञान और कालातीत मार्गदर्शन शामिल है ताकि उसका अनुसरण कर हम शांति और संतोष का जीवन जी सकें।
कुरान अल्लाह की ओर से है
खुद कुरान, हमें इस पुस्तक में एक भी त्रुटि चुनने की चुनौती देता है। इस पुस्तक के लेखक (ईश्वर) कहते हैं:
क्या वे क़ुरआन के बारे में सोच-विचार नहीं करते? यदि यह परमेश् वर के अलावा दूसरों से होता, तो उसमें बहुत सी त्रुटियाँ और विसंगतियाँ होतीं
कुरान अध्याय 4: आयत 82
कुरान में भूविज्ञान, भ्रूण विज्ञान, खगोल विज्ञान, समुद्र विज्ञान, कानून, मनोविज्ञान, वनस्पति विज्ञान, भौतिकी, प्राणी विज्ञान, समाजवाद आदि जैसे विभिन्न विषयों के बारे में बताया गया है। आश्चर्यजनक रूप से, 21 वीं सदी में हुए कई वैज्ञानिक खोजों के बारे में कुरान ने 1400 साल पहले ही बहुत सटीकता के साथ बात की थी, जो पैगंबर मुहम्मद जैसे इंसान के लिए अपने दम पर जानना असंभव था।