हमारे देश में कई लोगों का मानना है कि केवल मुस्लिम समाज ही बढ़ती हुई जनसंख्या विस्फ़ोट के लिए जिम्मेदार है और ये भारत को संख्या के आधार पर भविष्य में एक मुस्लिम राष्ट्र बनाने की सोची समझी साज़िश है |
इस बात में कितनी सच्चाई है आइये इसे समझने का प्रयास करते हैं |
- 2011 में आयोजित सरकारी जनसंख्या जनगणना के अनुसार, वर्ष 2011 में मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि बीते 20 साल में सबसे निचले स्तर पर दर्ज की गई, आंकड़ों के अनुसार ये वृद्धि 1991 में 32.8% से घटकर 2011 में सिर्फ 24.6% तक पहुँच गयी।
- भारतीय मुस्लिम महिलाओं के लिए प्रजनन दर 1991 में 4.1% थी जो 2011 में घटकर 3.4% हो गई।
- पिछले 10 साल की विकास दर के आंकड़ों का आकलन करने से पता चलता है कि दरअसल देश में हिंदु और मुसलमान दोनों ही समुदाय की दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर में निरंतर गिरावट देखी जा रही है।
1991 | 2001 | 2011 | |
---|---|---|---|
हिंदू | 22.7% | 19.9% | 16.7% |
मुस्लिम | 32.8% | 29.5% | 24.6% |
नोट: 1951 से 1961 तक, मुस्लिम आबादी भारत की समग्र विकास दर की तुलना में 11% अधिक की दर से बढ़ी, लेकिन 2001 और 2011 के बीच नवीनतम प्रवृत्ति से, विकास दर घटकर केवल 7% हो गई है।
मुस्लिमों के लिए कुल प्रजनन दर में गिरावट – NFHS
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) से प्राप्त डेटा का विश्लेषण करने से पता चलता है कि देश में मुस्लिम आबादी की कुल प्रजनन दर में काफी गिरावट आई है
एक महिला द्वारा अपने जीवनकाल में जन्म दिए गए बच्चों की औसत संख्या को हम कुल प्रजनन दर कह सकते हैं।
NFHS द्वारा हाल ही में आयोजित चौथे (2015-16) और पांचवें (2019-21) सर्वेक्षण के आंकड़ों को देखने से यह स्पष्ट हो जाता है | कि इन पांच वर्षो में सभी समुदायों के प्रजनन दर में गिरावट आई है। मुस्लिम महिलाओं के लिए कुल प्रजनन दर 2.62 से अब घटकर 2.36 हो गई है|

2050 में- मुसलमानों की संख्या 18.4% और हिन्दुओं की संख्या 76.7% होगी
पी.ई.डब्ल्यू (PEW) की रिपोर्ट में कहा गया है कि जनसंख्या वृद्धि के रुझानों को ध्यान में रखते हुए ये कहा जा सकता है कि, 2050 तक भारत में, जहाँ मुसलमानों की संख्या 18.4% होगी वहीँ हिन्दुओं की संख्या 76.7% होगी।

इन आंकड़ों का आकलन करने से स्पष्ट हो जाता है कि, निःसंदेह देश में मुसलमानों की जन्म दर में गिरावट आ रही है और कम से कम अगले 300 वर्षों तक मुसलमानों के हिंदुओं को पीछे छोड़ने की कोई संभावना नहीं है।
दोस्तों इन सारे तथ्यों को समझ कर ये आशा की जा सकती है की अब आप समझ गए होंगे कि जन्म दर के आधार पर मुसलमानों द्वारा भारत को एक मुस्लिम देश बनाने की बात सिर्फ एक मिथक के सिवा कुछ नहीं है।