बीते कुछ वर्षों में, हमारे देश में धार्मिक और राजनीतिक घृणा में काफी तेज़ी से वृद्धि देखी गई है। कई ऐसी ताकतें है जो अपने निजी स्वार्थ के लिए नफरत को सामान्य रूप से बढ़ावा देने की कोशिश में जुटे है। दुर्भाग्य से दूसरी ओर भी, इस नफरत के प्रचार व प्रसार का मुकाबला नफरत के साथ ही किया जा रहा है और इस प्रकार समाज में नफरत का माहौल और ज्यादा गर्म होता जा रहा है। समाज के भविष्य कहे जाने वाले युवाओं और यहां तक कि बच्चों को भी, नफरत के इस खतरनाक खेल में झोंका जाना अत्यंत दुःख की बात है।
नफरत को गंभीरता से लिया जाना चाहिए क्योंकि यह न केवल समाज को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि हर उस व्यक्ति को भी बर्बाद कर देती है जो इस खेल में लंबे समय तक संलिप्त रहता है।
नफरत कैंसर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल का कारण बन सकती है – डॉ.B एम हेगड़े
घृणा का शरीर और मन पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है
इस बात पर कई अध्ययन किए गए हैं कि नफरत हमें शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से कैसे दुष प्रभावित करती है। इन सभी अध्ययनों से पता चला है कि, नफरत हमारे शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित करने से पहले, हमारे मस्तिष्क को प्रभावित करती है।
मस्तिष्क हमारे शरीर का आंतरिक अलार्म (अंतरात्मा) प्रणाली है। जब आप नफरत की ज्वाला में सुलग रहे होते हैं, तो मस्तिष्क हमेशा खतरे या नुकसान की संभावना महसूस करता है, जिसके फलस्वरूप हमारे मस्तिष्क में मौजूद लाखों फाइबर तंत्रिकाएं पूरे शरीर में कुछ विशेष प्रकार के रसायनों को छोड़ते हैं। जारी किए गए ये रसायन कोर्टिसोल (तनाव हार्मोन), एड्रेनालाईन और नॉरएड्रेनालाईन हैं। जो हमें घृणा की अवस्था में आक्रामक रूप से प्रतिक्रिया करने के लिए तैयार करता है, ये आक्रामक प्रतिक्रिया या तो खुद के बचाव में होता है या सामने वाले के ऊपर हमले के रूप में।
जब हम नफरत की इस ज्वाला में नियमित रूप से भड़कते रहते है, तो ये रसायन शरीर में बार बार और तेजी से जारी होता रहता है। जिसकी वजह से हमारी अधिवृक्क ग्रन्थि (Adrenal gland) प्रभावित होती है जो वजन बढ़ाने, अनिद्रा, चिंता, अवसाद और अन्य पुरानी बीमारी को सक्रिय करने का कारण बन सकता है। धीरे धीरे समय समय पे, जारी किए गए इन रसायनों का हमारे शरीर के प्रतिक्रिया तंत्रिका, प्रतिरक्षा और अंतःस्रावी प्रणाली पर एक विशेष प्रकार का निर्भरता बन जाती है जिससे विभिन्न बीमारियां होने की संभावना बन जाती हैं: जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कैंसर और ऑटो-प्रतिरक्षा विकार आदि।
घृणा और मानव
घृणा हमारे सामने एक दर्पण जैसा प्रभाव पैदा करती है और यह व्यक्ति के ध्यान को उस ओर आकर्षित करती है जिससे वह नफरत करता है। यही दर्पण नफरत को निरंतर कर्म में बढ़ाने का कारण बन जाता है जो बदले में एक अन्य दर्पण प्रभाव को जन्म देता है। परिणाम स्वरुप हम एक दुष्चक्र में फंस जाते है जिससे आपके शरीर और दिमाग को बहुत नुकसान होता है। इस चक्र को तब तक नहीं तोड़ा जा सकता है जब तक कि व्यक्ति इसे रोकने के लिए जानबूझकर स्वयं हस्तक्षेप करने का फैसला न करें।
अपने आप को नफरत से बचाएं
- “नफरत” के प्रति सचेत रहें और जैसे ही आप इसे पहचानते हैं, इसे स्वीकार करने में देर न करें कि आप नफरत से प्रभावित हो रहे है।
- नफरत के ट्रिगर्स की पहचान करें. उदाहरण: गलतफहमी, प्रचार, पूर्वाग्रह, रूढ़िवादी आदि।
- ट्रिगर्स को संबोधित करने का प्रयास करें। उदाहरण: गलतफहमी को दूर करें, नफरत के कारणों की जांच करें कि कहीं यह एक झूठा प्रचार तो नहीं है, अपने पूर्वाग्रह और रूढ़ियोंवादी सोच को सही करें|
- सकारात्मकता पर ध्यान केंद्रित करें (हर स्थिति, हर व्यक्ति, हर समुदाय का एक सकारात्मक पक्ष भी होता है उसपे ध्यान आकर्षित करें)
- अपने मन को refocus और अन्य रचनात्मक आदतों के साथ भरने की कोशिश करें जैसे: पढ़ना, व्यायाम, दान आदि
- मस्तिष्क के विश्राम की तकनीकों एवं साँस लेने के व्यायाम की कोशिश करें जैसे योग, प्राथना, आत्म चिंतन, आदि